Tareeka (Method), Shrimad Bhagwad Geeta, Shlok-46, Chapter-2, Rudra Vaani

तारिका (विधि), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-46, अध्याय-2, रूद्र वाणी

, 1 मिनट पढ़ने का समय

Tareeka (Method), Shrimad Bhagwad Geeta, Shlok-46, Chapter-2, Rudra Vaani

आपकी सोच का तरीका आपकी सफलता की परिभाषा तय कर सकता है। रुद्र वाणी द्वारा लिखित श्रीमद्भगवद्गीता में इसके बारे में और जानें।

तारिका (विधि), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-46, अध्याय-2, रूद्र वाणी

श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक ब्लॉग-93

श्लोक-46

यवनर्थ उदपाणे सर्वतः संप्लुतोदके। तावांसर्वेषु वेदेषु ब्राह्मणस्य विजानतः ॥ 2-46 ||

अंग्रेजी प्रतिलेखन

यावानार्थ उद्पाने सर्वतः संप्लुतोदके | तावांसर्वेषु वेदेषु ब्राह्मणस्य विजानतः || 2-46 ||

हिंदी अनुवाद

सब तरफ से परिपूर्ण महान जलाश्य के प्राप्त होने पर छोटे गधेरे में भरे जल में मनुष्य का जितना प्रयोजन रहता है, अर्थ कुछ भी प्रयोजन नहीं रहता है, वेदों या शास्त्रों को तत्व से जन्मने वाले ब्रह्मज्ञानी का सम्पूर्ण वेदों में उतना ही प्रयोजन रहता है, अर्थ कुछ भी योजना नहीं रहती है.

अंग्रेजी अनुवाद

एक प्रबुद्ध ब्राह्मण के लिए सभी वेद उतने ही उपयोगी हैं, जितना कि पानी से भरे स्थान में पानी को संग्रहित करने के लिए एक तालाब।

टैग


ब्लॉग पोस्ट