Tareef (Praises), Shrimad Bhagwad Geeta, Shlok-68, Chapter-2, Rudra Vaani

तारीफ (स्तुति), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-68, अध्याय-2, रूद्र वाणी

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Tareef (Praises), Shrimad Bhagwad Geeta, Shlok-68, Chapter-2, Rudra Vaani

जब आप अपने कार्यक्षेत्र में प्रशंसा की तलाश में रहते हैं, तो आप अपने काम में खुद को बेहतर बनाने की कोशिश नहीं करते। इस बारे में और जानें श्रीमद्भगवद्गीता में रुद्र वाणी के साथ।

तारीफ (स्तुति), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-68, अध्याय-2, रूद्र वाणी

श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक ब्लॉग-115

श्लोक-68

तस्माद्यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वशः। इन्द्रियाणिन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता ॥ 2-68 ||

अंग्रेजी प्रतिलेखन

तस्माद्यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वशः | इन्द्रियानेन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता || 2-68 ||

हिंदी अनुवाद

अत: हे महाबाहो, जिस मनुष्य की इंद्रियां इंद्रियों के विषयों से सर्वथा वश में की हुई हैं, उसकी बुद्धि स्थिर है।

अंग्रेजी अनुवाद

अतः हे महाबाहु अर्जुन! जिसकी इन्द्रियाँ सब प्रकार से वश में रहती हैं, तथा जिसकी इन्द्रियाँ अपने विषयों की ओर जाने से रुकी रहती हैं, उसकी बुद्धि अच्छी तरह स्थापित हो जाती है।

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