सीधी (सीढ़ियाँ), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-42, अध्याय-2, रूद्र वाणी
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सीढ़ियों को देखने के दो तरीके हैं, एक नीचे आते हुए और दूसरा ऊपर जाते हुए। बस यही अंतर है। रूद्र वाणी के साथ श्रीमद्भगवद्गीता सुनें।
श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक ब्लॉग-89
श्लोक-42
यामिमां पुष्पितं वाचं प्रवदन्त्यविपश्चितः। वेदवादरतः पार्थ नान्यदस्ति वादिनः ॥ 2-42 ||
अंग्रेजी प्रतिलेखन
यामीमां पुष्पितां वाचं प्रवादन्त्यविपश्चितः | वेदवादर्तः पार्थ नान्यदस्तिति वादिनाः || 2-42 ||
हिंदी अनुवाद
हे पृथानन्दन, जो वेदों में काहे हुए सकाम कर्मों में प्रीति रखने वाले हैं, भोगों के सिवाए या कुछ है ही नहीं ऐसा कहने वाले हैं, या जो पुष्पित दिखाउ शोभायुक्त वाणी को कहते हैं।
अंग्रेजी अनुवाद
हे पार्थ! वेद के अक्षर पर प्रसन्न होकर मूर्ख लोग अलंकृत वाणी बोलते हैं, और कहते हैं कि इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं है।