सवाल (प्रश्न), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-54, अध्याय-2, रूद्र वाणी
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प्रश्नों से जिज्ञासाएं उत्पन्न होती हैं और फिर उन जिज्ञासाओं को आगे बढ़ाने के निर्णय को स्वीकार किया जाता है, तथा जिज्ञासाओं को हल करने या नए जिज्ञासाएं उत्पन्न करने का विकल्प दिया जाता है, जिससे उत्तर प्राप्त होते हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक ब्लॉग-101
श्लोक-54
स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव:। स्थितधिः किं प्रभशेत् किमासीत् व्रजेत् किम् ॥ 2-54 ||
अंग्रेजी प्रतिलेखन
स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव | स्थितधीः किम् प्रभाशेत् किमासीता व्रजेत् किम् || 2-54 ||
हिंदी अनुवाद
हे केशव, परमात्मा में स्थिर बुद्धि वाले मनुष्य के क्या लक्षण होते हैं? वाह स्थिर बुद्धि वाला मनुष्य कैसा बोलता है, कैसे बैठता है या कैसे चलता है अर्थ व्यवहार करता है?
अंग्रेजी अनुवाद
अर्जुन बोले, "हे केशव, स्थिर मन और ध्यान में स्थिर रहने वाले व्यक्ति का क्या लक्षण है? वे कैसे दिखते हैं? कैसे बैठते हैं? कैसे बोलते हैं? कैसे चलते हैं?"