Phal (Result), Shrimad Bhagwad Geeta, Shlok-51, Chapter-2, Rudra Vaani

फल (परिणाम), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-51, अध्याय-2, रूद्र वाणी

, 1 मिनट पढ़ने का समय

Phal (Result), Shrimad Bhagwad Geeta, Shlok-51, Chapter-2, Rudra Vaani

जो करना है, करते रहो और एक दिन तुम्हें वो फल मिलेगा जिसके तुम हकदार हो, बिना किसी लक्ष्य या आह्वान के। इसके बारे में और जानें श्रीमद्भगवद्गीता में रुद्र वाणी के साथ।

फल (परिणाम), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-51, अध्याय-2, रूद्र वाणी

श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक ब्लॉग-98

श्लोक-51

कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनुष्यिणः। जन्मबन्धविनिर्मुक्ताः पदं गच्छन्त्यनामयम् ॥ 2-51 ||

अंग्रेजी प्रतिलेखन

कर्मजं बुद्धियुक्त हि फलं त्यक्त्वा मनेषिनः | जन्मबन्धविनिर्मुक्तः पदं गचन्त्यनाम्यम् || 2-51 ||

हिंदी अनुवाद

क्योंकि समता युक्त बुद्धिमान साधक ही कर्म ज्ञान फल का अर्थ संसार मात्र का त्याग करके जन्मरूप बंधन से मुक्त होकर निर्विकार पद को प्राप्त ही होता है।

अंग्रेजी अनुवाद

योग से युक्त हुए विद्वान पुरुष कर्मों के फल का त्याग कर देते हैं और जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होकर स्वर्ग में सुखपूर्वक स्थान प्राप्त करते हैं।

टैग


ब्लॉग पोस्ट