Nishfikra (Stress-free), Shrimad Bhagwad Geeta, Shlok-50, Chapter-2, Rudra Vaani

निष्फिक्र (तनावमुक्त), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-50, अध्याय-2, रूद्र वाणी

, 1 मिनट पढ़ने का समय

Nishfikra (Stress-free), Shrimad Bhagwad Geeta, Shlok-50, Chapter-2, Rudra Vaani

तनाव एक ऐसी चीज़ है जो परिस्थितियों की अधूरी निगरानी के कारण बेहतरीन योजनाओं को भी बिगाड़ देती है। श्रीमद्भगवद्गीता और रुद्र वाणी के साथ तनाव मुक्त रहें।

निष्फिक्र (तनावमुक्त), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-50, अध्याय-2, रूद्र वाणी

श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक ब्लॉग-97

श्लोक-50

बुद्धियुक्तो जहातिह उभे सुकृतदुष्कृते। तस्माऔद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम् ॥ 2-50 ||

अंग्रेजी प्रतिलेखन

बुद्धियुक्तो जहातिह उभे सुकृतदुष्कृते | तस्माद्ययोगाय युजस्व योगः कर्मसु कौशलम् || 2-50 ||

हिंदी अनुवाद

बुद्धि समता से युक्त मनुष्य यहां जीवित अवस्था में ही पुण्य या पाप दोनों का त्याग कर देता है। अत: तुम योग समता में लग जाओ क्योंकि कर्मों में योग ही कुशल है।

अंग्रेजी अनुवाद

शुद्ध बुद्धि से संयुक्त होकर, प्रत्येक व्यक्ति को अपने अच्छे और बुरे कर्मों को यहीं इसी जीवन में छोड़ देना चाहिए, और फिर स्वयं को योग के लिए छोड़ देना चाहिए, जो सभी के लिए कर्म कौशल है।

टैग


ब्लॉग पोस्ट