मौका (मौका), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-36, अध्याय-2, रूद्र वाणी
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मौका आपके दरवाज़े पर दोबारा दस्तक नहीं देगा और जब आएगा, तो मत भूलना, वो सिर्फ़ एक बार ही आएगा। जाने से पहले उसे पकड़ लो। इसके बारे में और जानें श्रीमद्भगवद्गीता में रुद्र वाणी के साथ।
श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक ब्लॉग-83
श्लोक-36
अवाच्यवादांश्च बहुनवदश्यन्ति तवाहिता:। निन्दन्तस्तव शक्तिं ततो दुःखतरं नु किम् ॥ 2-36 ||
अंग्रेजी प्रतिलेखन
अवच्यवादाञ्चश्च बहुओन्वादिशयन्ति तवाहितः | निन्दन्तस्तव सामर्थर्यं ततो दुःखतरं नु किम् || 2-36 ||
हिंदी अनुवाद
तम्हारे शत्रुलोग तुम्हारे सामथ्र्य की निंदा करते हुए बहुत से ना कहने योग्य वचन भी कहेंगे। हमसे बढ़कर दुख की बात या क्या होगी?
अंग्रेजी अनुवाद
तुम्हारे शत्रु तुम्हारी शक्ति को नष्ट करने के लिए तुम्हारे विरुद्ध अनेक अनुचित बातें कहेंगे। इससे अधिक दुःखदायी क्या होगा?