Humesha (Always), Shrimad Bhagwad Geeta, Shlok-41, Chapter-2, Rudra Vaani

सदैव (सदा), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-41, अध्याय-2, रूद्र वाणी

, 1 मिनट पढ़ने का समय

Humesha (Always), Shrimad Bhagwad Geeta, Shlok-41, Chapter-2, Rudra Vaani

हर कही गई बात और हर अनकही बात में एक कहानी ज़रूर होती है। अब सब कुछ जानना है। इसके बारे में और जानें श्रीमद्भगवद्गीता में रुद्र वाणी के साथ।

सदैव (सदा), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-41, अध्याय-2, रूद्र वाणी

श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक ब्लॉग-88

श्लोक-41

व्यवसायआत्मिका बुद्धिरेकेह कुरुन्नंदन। बहुशाखा ह्यन्नताश्च बुद्धयोऽव्यवसायिनाम् ॥ 2-41 ||

अंग्रेजी प्रतिलेखन

व्यवस्यायात्मिका बुद्धिरेकेह कुरुनन्दन | बहुशाखा ह्ययानन्तश्च बुधयोव्यवासयिनम् || 2-41 ||

हिंदी अनुवाद

हे कुरुनन्दन, इस सम्बुद्धि की प्राप्ति के विषय में निश्चय वाली बुद्धि एक ही होती है, जिनका एक निश्चय नहीं होता है, ऐसे मनुष्यों की बुद्धियाँ अनंत या बहुत शाखाओं वाली ही होती हैं।

अंग्रेजी अनुवाद

पूर्ण निश्चय ही एक कारण है, लेकिन अर्जुन, यह पूरी बात अनेक शाखाओं वाली है और इसमें से अनिश्चय की स्थिति वाले व्यक्ति के लिए अनगिनत विचार निकल सकते हैं।

टैग

एक टिप्पणी छोड़ें

एक टिप्पणी छोड़ें


ब्लॉग पोस्ट