Faisla (Decider), Shrimad Bhagwad Geeta, Shlok-33, Chapter-2, Rudra Vaani

फ़ैसला (निर्णायक), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-33, अध्याय-2, रूद्र वाणी

, 1 मिनट पढ़ने का समय

Faisla (Decider), Shrimad Bhagwad Geeta, Shlok-33, Chapter-2, Rudra Vaani

ऐसा नहीं है कि गेंद कभी-कभार ही आपके पाले में होती है, बल्कि हमेशा आपके पाले में होती है। इसलिए फैसला आप ही करते हैं, भाग्य नहीं। इसके बारे में और जानें श्रीमद्भगवद्गीता में रुद्र वाणी के साथ।

फ़ैसला (निर्णायक), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-33, अध्याय-2, रूद्र वाणी

श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक ब्लॉग-80

श्लोक-33

अथ चेत्त्विमिमं धर्म्यं सग्रामं न करिष्यसि। ततः स्वधर्मं कीर्तिं च हित्वा पापमवाप्स्यसि ॥ 2-33 ||

अंग्रेजी प्रतिलेखन

अथ चेत्वामिमं धर्मं संग्रामं न करिष्यसि | ततः स्वधर्मं कीर्तिं च हित्वा पापमावाप्स्यसि || 2-33 ||

हिंदी अनुवाद

तो अब अगर तुम ये धर्म युद्ध नहीं करोगे तो अपना धर्म या कीर्ति का त्याग कर के पाप को प्राप्त होगे।

अंग्रेजी अनुवाद

लेकिन अब यदि तुम यह धर्मयुद्ध नहीं लड़ोगे तो तुम अपने सम्मान और कर्तव्य को त्यागकर पाप के भागी बनोगे।

टैग

एक टिप्पणी छोड़ें

एक टिप्पणी छोड़ें


ब्लॉग पोस्ट