Bharosa (Trust), Shrimad Bhagwad Geeta, Shlok-45, Chapter-2, Rudra Vaani

भरोसा (ट्रस्ट), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-45, अध्याय-2, रूद्र वाणी

, 1 मिनट पढ़ने का समय

Bharosa (Trust), Shrimad Bhagwad Geeta, Shlok-45, Chapter-2, Rudra Vaani

भरोसा (ट्रस्ट), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-45, अध्याय-2, रूद्र वाणी

श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक ब्लॉग-92

श्लोक-45

त्रैगुण्यविषय वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन। निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान् ॥ 2-45 ||

अंग्रेजी प्रतिलेखन

त्रैगुण्यविषय वेद निस्त्रेगुण्यो भवार्जुन | निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान् || 2-45 ||

हिंदी अनुवाद

वेद तीन गुनो के कार्य का ही वर्णन करने वाले हैं। हे अर्जुन, तुम तीनों गुणों से रहित हो जाओ, राग द्वेषादि द्वन्द्वों से रहित हो जाओ, निरंतर नित्य वास्तु परमात्मा में स्थित हो जाओ, योगक्षेम की चाहना भी मत रखो या परमात्मपरायण हो जाओ।

अंग्रेजी अनुवाद

प्रिय अर्जुन, वेद तीन गुणों का वर्णन करते हैं, और तुम इनसे ऊपर रहो, अर्थात् विपरीत युग्म से परे, पवित्रता में सदैव दृढ़ रहो, संपत्ति के प्रति लापरवाह रहो और आत्म-पूर्ण रहो।

टैग


ब्लॉग पोस्ट