अपकीर्ति (कुप्रचार), श्रीमद्भगवद्गीता, श्लोक-34, अध्याय-2, रूद्र वाणी
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अच्छा प्रचार भी प्रचार है, बुरा प्रचार भी प्रचार है। एक अच्छा है और दूसरा बुरा। श्रीमद्भगवद्गीता में रुद्र वाणी से इसका अर्थ जानिए।
श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक ब्लॉग-81
श्लोक-34
अकीर्तिं चापि भूतानि कथ्यिष्यन्ति तेऽव्ययम्। सम्भवितस्य चाकीर्तिर्मरणदातिरिच्यते ॥ 2-34 ||
अंग्रेजी प्रतिलेखन
अकीर्तिं छापि भूतानि कथयिष्यन्ति तेव्यायम् | सम्भवितस्य चाकीर्तिर्मराणादातिरिच्यते || 2-34 ||
हिंदी अनुवाद
या सब प्राणि भी तेरी सदा रहने वाली अपेक्षा का कथन अर्थ निंदा करेंगे। वाह अपकीर्ति सम्मनित मनुष्य के लिए मृत्यु से भी बढ़कर दुःखदायी होती है।
अंग्रेजी अनुवाद
हर कोई आपके इस अपमान की चर्चा करता रहेगा और आपके जैसे सम्मानित व्यक्ति के लिए यह एक दर्दनाक मौत से भी अधिक विनाशकारी होगा।